तू रंग है, ग़ुबार
हैं तेरी गली के लोग
तू फूल है, शरार हैं
तेरी गली के लोग
शरार = चिंगारी
तू रौनके-हयात है,
तू हुस्ने कायनात
उजड़ा हुआ दयार हैं तेरी
गली के लोग
रौनके-हयात = जीवन की
रौनक
हुस्ने कायनात =
सृष्टि का सौन्दर्य
तू पैकरे-वफ़ा है,
मुजस्सम ख़ुलूस है
बदनामे-रोज़गार हैं तेरी
गली के लोग
पैकरे-वफ़ा = वफ़ा की साकार
मूर्ति
बदनामे-रोज़गार =
दुनिया भर में बदनाम
रौशन तेरे जमाल से हैं
मेह्रो-माह भी
लेकिन नज़र पे बार हैं
तेरी गली के लोग
मेह्रो-माह = सूरज-चाँद
बार = बोझ
देखो जो गौर से तो ज़मीं
से भी पस्त हैं
यूँ आसमाँ-शिकार हैं
तेरी गली के लोग
फिर जा रहा हूँ तेरे
तबस्सुम को लूट कर
हरचंद होशियार हैं तेरी
गली के लोग
तबस्सुम = मुस्कान हरचंद = हालाँकि
खो जाएँगे सेहर के उजालों में आख़िरश
शमए-सरे-मज़ार हैं तेरी
गली के लोग
सेहर = सुबह आख़िरश = आख़िरकार
शमए-सारे-मज़ार =
क़ब्र पर जल रही शमा
शायर - हबीब 'जालिब'
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : हबीब 'जालिब'संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
शायर - हबीब 'जालिब'
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : हबीब 'जालिब'संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
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