यह जो
वजन तोलने की मशीन बैठी है
राह किनारे
'वजन जानें' का बड़ा-सा हस्तलिखित शीर्षक
गत्ते के एक टुकड़े पर लगाए
ऊँकड़ू बैठे एक बाबा के
पंजों के ऐन सामने
शरीर के वजन से नहीं
सिक्के के वजन से
हिलेगी इसकी सुई
जबकि वह सिक्का
एक बहुत हल्का सिक्का होगा
शरीर से पसीने की एक बूँद की तरह
राह चलते अलग हो जाने वाला
उस नन्हे सिक्के के वजन से
हिलेगी इसकी सुई
और शरीर का वजन बताएगी
शरीर का वजन
आदमी का नहीं
क्योंकि उसमें
शरीर का सुख-भार-भर शामिल होगा, मन का दुख-भार नहीं
वजन तोलने की मशीन बैठी है
राह किनारे
'वजन जानें' का बड़ा-सा हस्तलिखित शीर्षक
गत्ते के एक टुकड़े पर लगाए
ऊँकड़ू बैठे एक बाबा के
पंजों के ऐन सामने
शरीर के वजन से नहीं
सिक्के के वजन से
हिलेगी इसकी सुई
जबकि वह सिक्का
एक बहुत हल्का सिक्का होगा
शरीर से पसीने की एक बूँद की तरह
राह चलते अलग हो जाने वाला
उस नन्हे सिक्के के वजन से
हिलेगी इसकी सुई
और शरीर का वजन बताएगी
शरीर का वजन
आदमी का नहीं
क्योंकि उसमें
शरीर का सुख-भार-भर शामिल होगा, मन का दुख-भार नहीं
कवि - ज्ञानेन्द्रपति
संकलन - संशयात्मा
प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2004
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