बापू दूर इस संसार से
देव ! देव तुम उस पार से
झाँकते हो हमें कारागार से
हो रहा हमसे नहीं कुछ दूर भी
देव, तव पद-पंक्तियों का अनुसरण
मृत्युविजयी पितामह तुमसे न हम
सीख पाए अभी जीवन या मरण
पशु-सदृश हम चर रहे
नहीं कुछ भी कर रहे
तुच्छ स्वार्थों के लिए ही मर रहे
किंतु फिर भी प्यार से
देव, तुम उस पार से
झाँकते हो हमें कारागार से l
- जनवरी, 1944
देव ! देव तुम उस पार से
झाँकते हो हमें कारागार से
हो रहा हमसे नहीं कुछ दूर भी
देव, तव पद-पंक्तियों का अनुसरण
मृत्युविजयी पितामह तुमसे न हम
सीख पाए अभी जीवन या मरण
पशु-सदृश हम चर रहे
नहीं कुछ भी कर रहे
तुच्छ स्वार्थों के लिए ही मर रहे
किंतु फिर भी प्यार से
देव, तुम उस पार से
झाँकते हो हमें कारागार से l
- जनवरी, 1944
कवि - नागार्जुन
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 1
संपादन-संयोजन - शोभाकांत
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003
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