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रविवार, 29 सितंबर 2013

अलाव (Alaav by Ajneya)


           माघ : कोहरे में अंगार की सुलगन 
अलाव के ताव के घेरे के पार 
सियार की आँखों की जलन 
सन्नाटे में जब-तब चिनगी की चटकन 
सब मुझे याद है ! मैं थकता हूँ 
पर चुकती नहीं मेरे भीतर की भटकन !


कवि -  अज्ञेय 
संकलन - चुनी हुई कविताएं 
प्रकाशक - राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली, 1987

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