चला आ रहा है चला आ रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
धड़कते दिलों की सदा आ रही है
अन्धेरे में आवाज़े पा आ रही है
बुलाता है कोई निदा आ रही है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
न सुल्तानी-ए तीरगी है ज़ारी
न तख्ते सुलेमां न सरमायादारी
गरीबों की चीख़ें न शाही सवारी l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
उड़ाता हुआ परचमे ज़िन्दगानी
सुनाता हुआ एहदे नौ की कहानी
जिलू में ज़फ़रमन्दिया शादमानी
चला आ रहा है चला आ रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
सफीना मसावत का खे रहा है
जवानों से कुर्बानियाँ ले रहा है
गुलामों को आज़ादियाँ दे रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
चला आ रहा है चला आ रहा है l
मुस्तक़बिल = भविष्य
आवाज़े पा = पैर की आवाज़
निदा = आह्वान
एहदे नौ = नवयुग
जिलू = सामने
ज़फ़रमन्दिया = सफलताएँ
ज़फ़रमन्दिया = सफलताएँ
शादमानी = खुशी से भरी हुई
सफीना = नाव
मसावात = समानता
शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण - 2004
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