अमरुद फिर आ गए बाज़ार में
और यद्यपि वहाँ जगह नहीं थी
पर मैंने देखा छोटे-छोटे अमरूदों ने
सबको ठेल-ठालकर
फुटपाथ पर बना ही ली
अपने लिए थोड़ी सी जगह
और अब देखो तो किस तरह एक छोटी सी टोकरी में
वे बैठे हैं शान से
फुटपाथों के शहंशाह की तरह !
नहीं, मुझे नहीं चाहिए कोई चाकू
नहीं, मुझे कुछ भी नहीं चाहिए
मैं नहीं चाहता मेरे दाँतों
और अमरूद के बीच
कोई तीसरा आए
मैं बिना किसी मध्यस्थ के
छिलकों और बीजों के बीच से होते हुए
सीधे अमरूद के धड़कते हुए दिल तक पहुँचना चाहता हूँ
जोकि उसका स्वाद है
जीने का यही एक ढंग है
सबसे अचूक
और सबसे भरोसेमन्द
यह मैंने एक दिन
एक अमरुद से सीखा था
कवि - केदारनाथ सिंह
संकलन - तालस्ताय और साइकिल
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2005
और यद्यपि वहाँ जगह नहीं थी
पर मैंने देखा छोटे-छोटे अमरूदों ने
सबको ठेल-ठालकर
फुटपाथ पर बना ही ली
अपने लिए थोड़ी सी जगह
और अब देखो तो किस तरह एक छोटी सी टोकरी में
वे बैठे हैं शान से
फुटपाथों के शहंशाह की तरह !
नहीं, मुझे नहीं चाहिए कोई चाकू
नहीं, मुझे कुछ भी नहीं चाहिए
मैं नहीं चाहता मेरे दाँतों
और अमरूद के बीच
कोई तीसरा आए
मैं बिना किसी मध्यस्थ के
छिलकों और बीजों के बीच से होते हुए
सीधे अमरूद के धड़कते हुए दिल तक पहुँचना चाहता हूँ
जोकि उसका स्वाद है
जीने का यही एक ढंग है
सबसे अचूक
और सबसे भरोसेमन्द
यह मैंने एक दिन
एक अमरुद से सीखा था
कवि - केदारनाथ सिंह
संकलन - तालस्ताय और साइकिल
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2005
इसी लिए हमें अमरुद हमेशा सबसे ज्यादा भाता है शायद. पहले ऐसे नहीं सोचा
जवाब देंहटाएं