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बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

इन्तिसाब (Intisab by Faiz Ahmad Faiz)


आज के नाम 
और 
आज के ग़म के नाम 
आज का ग़म के: है ज़िन्दगी के भरे गुलसिताँ से ख़फ़ा 
ज़र्द पत्तों का बन 
ज़र्द पत्तों का बन जो मेरा देस है 
दर्द की अंजुमन जो मेरा देस है 
किलर्कों की अफ़सुर्दा जानों के नाम 
किर्मख़ुर्दा दिलों और ज़बानों के नाम 
पोस्टमैनों के नाम 
ताँगेवालों के नाम 
रेलवानों के नाम 
कारख़ानों के भोले जियालों के नाम 
बादशाहे-जहाँ, वालिए-मासिवा, नायबुल्लाहे-फ़िल-अर्ज़,
                                                         दहकाँ के नाम 
जिसके ढोरों को ज़ालिम हँका ले गए 
जिसकी बेटी को डाकू उठा ले गए 
हाथ-भर खेत से एक अंगुश्त पटवार ने काट ली है 
दूसरी मालिये के बहाने से सरकार ने काट ली है 
जिसकी पग ज़ोरवालों के पाँवों तले 
धज्जियाँ हो गई हैं 
उन दुखी माओं के नाम 
रात में जिनके बच्चे बिलखते हैं और 
नींद की मार खाए हुए बाजुओं से सँभलते नहीं 
दुःख बताते नहीं 
मिन्नतों ज़ारियों से बहलते नहीं 

उन हसीनाओं के नाम 
जिनकी आँखों के गुल 
चिलमनों और दरीचों की बेलों पे बेकार खिल-खिल के 
मुरझा गये हैं 

उन ब्याहताओं के नाम 
जिनके बदन 
बेमुहब्बत रियाकार सेजों पे सज-सज के उकता गये हैं 
बेवाओं के नाम 
कटड़ियों और गलियों, मुहल्लों के नाम 
जिनकी नापाक ख़ाशाक से चाँद रातों 
को आ-आ के करता है अक्सर वज़ू 
जिनके सायों में करती हैं आहो-बुका 
आँचलों की हिना 
चूड़ियों की खनक 
काकुलों की महक 
आरज़ूमंद सीनों की अपने पसीने में जलने की बू 

तालिबे इल्मों के नाम 
वो जो असहाबे-तब्लो-अलम 
के दरों पर किताब और क़लम 
का तक़ाज़ा लिये, हाथ फैलाये 
पहुँचे, मगर लौटकर घर न आये 
वो मासूम जो भोलेपन में 
वहाँ अपने नन्हें चिराग़ों में लौ की लगन 
ले के पहुँचे, जहाँ 
बँट रहे थे घटाटोप, बेअंत रातों के साये 

उन असीरों के नाम 
जिनके सीनों में फ़र्दा के शबताब गौहर 
जेलख़ानों की शोरीद: रातों की सरसर में 
जल-जल के अंजुम-नुमाँ हो गये हैं 

आनेवाले दिनों के सफ़ीरों के नाम 
वो जो ख़ुशबू-ए-गुल की तरह 
अपने पैग़ाम पर ख़ुद फ़िदा हो गये हैं l 


शायर - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 
संकलन - सारे सुख़न हमारे 
संपादक - अब्दुल बिस्मिल्लाह 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, पहला संस्करण - 1987

फ़ैज़ अक्सरहा याद आते हैं l आज के दौर में तो और भी l उनके जन्मदिन पर उनका यह इन्तिसाब (समर्पण) कितना मौजूँ है ! बहुपठित और बहुचर्चित होने पर भी हर बार यह ज़माने की नई से नई तस्वीर से मेल खाता नज़र आता है l 


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