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शुक्रवार, 14 मार्च 2014

नदियाँ (Nadiyan by Alok Dhanva)

इछामती और मेघना 
महानंदा 
रावी और झेलम 
गंगा, गोदावरी 
नर्मदा और घाघरा 
नाम लेते हुए भी तकलीफ होती है 

उनसे उतनी ही मुलाकात होती है 
जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं 

और उस समय भी दिमाग 
कितना कम पास जा पाता है 
दिमाग तो भरा रहता है 
लुटेरों के बाजार के शोर से l
                              - 1996


कवि - आलोक धन्वा 
संकलन - कविता नदी   
संपादक - प्रयाग शुक्ल 
प्रकाशक - महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वि.वि. के लिए 
                किताबघर प्रकाशन, दिल्ली, 2002

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