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शनिवार, 15 मार्च 2014

सफ़ेद पंख (Safed pankh by Savita Singh)

जाओ उन्हीं आलिंगनों में 
जो तुम्हारे थे 
उड़ेल दिया था जिनमें तुमने 
सारा प्रेम अपना 

जाओ अब तक वहीं पड़ा है वह चुंबन
जिसे छोड़ गयी थी लाल आँखों वाली चिड़िया 

उठा लाओ वह सफ़ेद पंख 
जिसे गिरा गयी थी वह किसी और के लिए 


कवयित्री - सविता सिंह 
संकलन - स्वप्न समय 
प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2013

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