अपना यह देश है महाSSन !
जभी तो यहाँ चल रहा भेड़िया धसाSSन !
शब्दों के तीर हैं जीभ है कमाSSन !
सीधे हैं मजदूर और बुद्धू हैं किसाSSन !
लीडरों की नीयत कौन पाएगा जाSSन !
अपना यह देश है महाSSन !
- 6.11. 1979
कवि - नागार्जुन
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 2
संपादन-संयोजन - शोभाकांत
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003
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