मनमाफ़िक मेरी पसंदीदा कविताओं, कहानियों और अन्य रचनाओं का संकलन है.
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शुक्रवार, 21 मार्च 2014
सोन-मछली (Son-machhalee by Ajneya)
हम निहारते रूप, काँच के पीछे हाँप रही है मछली l रूप-तृषा भी (और काँच के पीछे) है जिजीविषा l कवि - अज्ञेय संकलन - चुनी हुई कविताएं प्रकाशक - राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली, 1987
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