जिसे किसी ने नहीं
तोड़ा था -
उसे भी इस दुःख ने तोड़
दिया है,
जिसने किसी को नहीं
छोड़ा था,
उसने खुद को
छोड़ दिया है। -7. 2. 2007
तोड़ा था -
उसे भी इस दुःख ने तोड़
दिया है,
जिसने किसी को नहीं
छोड़ा था,
उसने खुद को
छोड़ दिया है। -7. 2. 2007
कवि - नंदकिशोर नवल
संकलन - नील जल कुछ और भी धुल गया
संपादक - श्याम कश्यप
प्रकाशक - शिल्पायन, दिल्ली, 2012
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