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सोमवार, 12 मई 2014

दुःख (Dukh by Nandkishore Nawal)

जिसे किसी ने नहीं 
तोड़ा था -
उसे भी इस दुःख ने तोड़ 
दिया है,
जिसने किसी को नहीं 
छोड़ा था,
उसने खुद को 
छोड़ दिया है।                   -7. 2. 2007



कवि - नंदकिशोर नवल
संकलन - नील जल कुछ और भी धुल गया
संपादक - श्याम कश्यप
प्रकाशक - शिल्पायन, दिल्ली, 2012


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