सिगरेट के दम घोंटते धुएँ में
सारी शाम
मैं अपने कमरे में
अकेला बैठा रहूँगा
उनकी बातें
मथती रहेंगी मुझे
जो शायद रात के वक्त
या फिर शायद सुबह में
बहुत कम उम्र में ही मारे गए
अपनी नोटबुकों में
कुछ लाइनें यों ही खींच कर छोड़े हुए
और
उनके प्यार अधूरे
उनके शब्द अधूरे
उनके काम अधूरे
रूसी कवि - बोरिस स्मोल्नेस्की (1921-1941)
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
पत्रिका - उत्तरशती, बिहार प्रगतिशील लेखक संघ का मुखपत्र, अप्रैल-जून, 1985
सारी शाम
मैं अपने कमरे में
अकेला बैठा रहूँगा
उनकी बातें
मथती रहेंगी मुझे
जो शायद रात के वक्त
या फिर शायद सुबह में
बहुत कम उम्र में ही मारे गए
अपनी नोटबुकों में
कुछ लाइनें यों ही खींच कर छोड़े हुए
और
उनके प्यार अधूरे
उनके शब्द अधूरे
उनके काम अधूरे
रूसी कवि - बोरिस स्मोल्नेस्की (1921-1941)
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
पत्रिका - उत्तरशती, बिहार प्रगतिशील लेखक संघ का मुखपत्र, अप्रैल-जून, 1985
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