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गुरुवार, 15 मई 2014

खूब फँसे हैं नंदा जी (Khoob fanse hain Nandaji by Nagarjun)

डाल दिया है जाने किसने फंदा  जी !

कैसे हज़म करेगा लीडर लाख-लाख का चंदा जी ?
कैसे चमकेगा सेठों का दया-धरम का धंधा जी ?
कैसे तुक जोड़ेगा फिर तो मेरे जैसा बंदा जी ?
रेट बढ़ गया घोटाले का, सदाचार है मंदा जी !
कौन नहीं है भ्रष्टाचारी, कौन नहीं है गंदा जी ?
बुरे फँसे हैं नंदा जी !
डाल दिया है जाने किसने फंदा  जी !




कवि - नागार्जुन 
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 1
संपादन-संयोजन - शोभाकांत 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003

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