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शुक्रवार, 2 मई 2014

रोटी और संसद (Roti aur Sansad by Dhoomil)


एक आदमी 
रोटी बेलता है 
एक आदमी रोटी खाता है 
एक तीसरा आदमी भी है 
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है 
वह सिर्फ रोटी से खेलता है 
मैं पूछता हूँ - 
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है l


कवि - धूमिल
संकलन - कल सुनना मुझे
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2003

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