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मंगलवार, 6 अगस्त 2013

पिंजड़े में (Pinjade mein by Vinod Kumar Shukla)

पिंजड़े में 
लिपिक ! लिपिक !!
बोलने वाला तोता 
साहब के घर में था l 

बहुत प्राचीन पक्षी लिपि है 
सांध्य आकाश में पक्षियों की पंक्ति 
संदर्भ लौटने का, वाक्य है 
यह विषय भी लौटने का  इतना है 
कि वाक्य भी लौटता है l 
अपने कार्यालय की खिड़की से 
उन उड़ते हुए पक्षियों से 
मैंने कहा आभार l

आभार पक्षियों की ओर उड़ गया 
पहले एक मेरा आभार था
और बाकी सब सारस थे 
फिर उसका भी आभार था 
और सब सारस थे l


कवि -  विनोदकुमार शुक्ल
संकलन - अतिरिक्त नहीं
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2000

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