पिंजड़े में
लिपिक ! लिपिक !!
बोलने वाला तोता
साहब के घर में था l
बहुत प्राचीन पक्षी लिपि है
सांध्य आकाश में पक्षियों की पंक्ति
संदर्भ लौटने का, वाक्य है
यह विषय भी लौटने का इतना है
कि वाक्य भी लौटता है l
अपने कार्यालय की खिड़की से
उन उड़ते हुए पक्षियों से
मैंने कहा आभार l
आभार पक्षियों की ओर उड़ गया
पहले एक मेरा आभार था
और बाकी सब सारस थे
फिर उसका भी आभार था
और सब सारस थे l
कवि - विनोदकुमार शुक्ल
संकलन - अतिरिक्त नहीं
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2000
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