हमको नज़रों से गिरानेवाले
ढूँढ़ अब नाज़ उठानेवाले
छोड़ जाएँगे कुछ ऐसी यादें
रोएँगे हमको ज़मानेवाले
रह गए नक़्श हमारे बाक़ी
मिट गए हमको मिटानेवाले
मंज़िले-गुल का पता देते हैं
राह में ख़ार बिछानेवाले
इन ज़मीनों पे गुहर बरसेंगे
ऐसे कुछ अब्र हैं छानेवाले
देख वो सुब्ह का सूरज निकला
मुस्कुरा अश्क बहानेवाले !
आस में बैठे हैं जिनकी 'जालिब'
वो ज़माने भी हैं आनेवाले
ख़ार = काँटे गुहर = मोती अब्र = बादल
शायर - हबीब 'जालिब'
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : हबीब 'जालिब'संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
ढूँढ़ अब नाज़ उठानेवाले
छोड़ जाएँगे कुछ ऐसी यादें
रोएँगे हमको ज़मानेवाले
रह गए नक़्श हमारे बाक़ी
मिट गए हमको मिटानेवाले
मंज़िले-गुल का पता देते हैं
राह में ख़ार बिछानेवाले
इन ज़मीनों पे गुहर बरसेंगे
ऐसे कुछ अब्र हैं छानेवाले
देख वो सुब्ह का सूरज निकला
मुस्कुरा अश्क बहानेवाले !
आस में बैठे हैं जिनकी 'जालिब'
वो ज़माने भी हैं आनेवाले
ख़ार = काँटे गुहर = मोती अब्र = बादल
शायर - हबीब 'जालिब'
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : हबीब 'जालिब'संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
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