आज मैं अकेला हूँ
अकेले रहा नहीं जाता
जी व न मि ला है य ह
र त न मि ला है य ह
धूल में
कि
फूल में
मिला है
तो
मिला है यह
मो ल - तो ल इ स का
अ के ले क हा न हीं जा ता
सु ख आ ये दु ख आ ये
दि न आ ये रा त आ ये
फूल में
कि
धूल में
आये
जैसे
जब आये
सु ख दु ख ए क भी
अ के ले स हा न हीं जा ता
च र ण हैं च ल ता हूँ
च ल ता हूँ च ल ता हूँ
फूल में
कि
धूल में
च ला ता
मन
चलता हूँ
ओ खी धा र दि न की
अ के ले ब हा न हीं जा ता
कवि - त्रिलोचन
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ में 'धरती' से
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, पेपरबैक्स, 1985
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