सब तुमने कह दिया, मगर, यह चुम्बन क्या है ?
"प्यार तुम्हें करता हूँ मैं," इसमें जो "मैं" है,
चुम्बन उस पर मधुर, गुलाबी अनुस्वार है l
चुम्बन है वह गूढ़ भेद मन का, जिसको मुख
श्रुतियों से बच कर सीधे मुख से कहता है l
कवि - रामधारी सिंह दिनकर
किताब - दिनकर रचनावली, खंड - 2 में 'नये सुभाषित', प्रथम संस्करण से
किताब - दिनकर रचनावली, खंड - 2 में 'नये सुभाषित', प्रथम संस्करण से
प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 2011
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