Translate

बुधवार, 26 सितंबर 2012

कल रात (Kal raat by Apoorvanand)



कल रात 
          छींटे दे-दे चेहरा भिंगोती रही चाँदनी
कल रात 
          पूरी पृथ्वी पर झुकता रहा आसमान
कल रात 
          चाँद होंठ टेढ़े करके ठीक वैसे ही 
          हँसा
          जैसे मो ना लि सा 
बहुत कुछ हुआ 
          और भी 
          बहुत कुछ हुआ कल रात !

                 
कवि - अपूर्वानंद  (1982 )

2 टिप्‍पणियां: