तुम्हारे मधुर अबोले बोल
गूँज उठते प्राणों के पास
इन्हीं में राधा की अंगुलियाँ,
इन्हीं में कान्हा के रस-रास
तुम्हारी निर्मल चितवन देख
हजारों चितवन बलि-बलि जायँ
तुम्हारी फुदक तुम्हारी उछल
रँभाना लेकर माँ का नावँ
तुम्हारे निकट निकुंज निवास,
राधिका-कृष्ण तुम्हारी प्यास
तुम्हारे मधुर अबोले बोल
गूँज उठते प्राणों के पास l
(1956-57)
कवि - माखनलाल चतुर्वेदी
संग्रह - पदचिह्न
संपादक - नंदकिशोर नवल, संजय शांडिल्य
प्रकाशक - दानिश बुक्स, दिल्ली, 2006
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