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बुधवार, 12 दिसंबर 2012

गले से लिपटे बछड़े से (Gale se lipate bachhade se by Makhanlal Chaturvedi)


तुम्हारे मधुर अबोले बोल
गूँज उठते प्राणों के पास
इन्हीं में राधा की अंगुलियाँ,
इन्हीं में कान्हा के रस-रास

तुम्हारी निर्मल चितवन देख
हजारों चितवन बलि-बलि जायँ
तुम्हारी फुदक तुम्हारी उछल
रँभाना लेकर माँ का नावँ

तुम्हारे निकट निकुंज निवास,
राधिका-कृष्ण तुम्हारी प्यास
तुम्हारे मधुर अबोले बोल
गूँज उठते प्राणों के पास l
                           (1956-57)


कवि - माखनलाल चतुर्वेदी 
संग्रह - पदचिह्न 
संपादक - नंदकिशोर नवल, संजय शांडिल्य 
प्रकाशक - दानिश बुक्स, दिल्ली, 2006

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