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शनिवार, 1 दिसंबर 2012

ऊँचाई (Oonchai by Kedarnath Singh)


मैं वहाँ पहुँचा
और डर गया

मेरे शहर के लोगो
यह कितना भयानक है
कि शहर की सारी सीढ़ियाँ मिलकर
जिस महान ऊँचाई तक जाती हैं
वहाँ कोई नहीं रहता !


कवि - केदारनाथ सिंह
संकलन - यहाँ से देखो
प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, पहला संस्करण - 1983

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