हर एक चीख़ पर
निकल पड़ता है एक ईश्वर
अपने विराट परों को लहराता
अपने परिधान को आसमान भर में उड़ाता l
कई तरह के हैं ईश्वर
इस धरती पर
हम कभी भी सक्षम नहीं हो पाएँगे
इतना हँसने या रोने के लिए
उन्हें लुभाने के लिए, जहाँ वे जा छुपते हैं l
भले ही ठहाके हों या आँसू,
इनसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता :
ज़रूरी चीज़ है चीख़ l
रोमानियाई कवयित्री - आना ब्लांडिआना (मूल नाम : ओतेलिया वालेरिया कोमां)
संकलन - सच लेता है आकार, समकालीन रोमानियाई कविता
चयन/सम्पादन - आन्द्रीआ देलेतान्त, ब्रेण्डा वाकर
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - रणजीत साहा
प्रकाशक - साहित्य अकादेमी, दिल्ली, 2002
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