अभी-अभी
कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज
चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें
अभी-अभी
थिरकेगी पछिया बयार
झरने लग जायेंगे नीम के पीले पत्ते
अभी-अभी
खिलखिलाकर हँस पड़ेगा कचनार
गुदगुदा उठेगा उसकी अगवानी में
अमलतास की टहनियों का पोर-पोर
अभी-अभी
करवटें लेंगे बूँदों के सपने
फूलों के अन्दर
फलों-फलियों के अन्दर
(1964)
कवि - नागार्जुन
संकलन - नागार्जुन : चुनी हुई रचनाएँ- 2
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 1993
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें