आज बच्चों ने
सचमुच का पहाड़ देखा
उन्होंने दुनिया की
इस सबसे ऊँची चीज को देखा
और अनुमान लगाया
पहाड़ उनके अपार्टमेंट का
बीस गुना है
नहीं, तीस गुना
नहीं, पचास गुना
कितना अलग है यह पहाड़
उस पहाड़ से
जो टी. वी. पर दिखाई पड़ता है
किताबों में दिखाई पड़ता है
बच्चों ने सोचा
कितना अलग है सचमुच का पहाड़
लगता है जैसे
साँस ले रहा हो
आज बच्चों ने पहली बार
साफ देखा
पहाड़ पर पूरी जिंदगी गुजार देने वाले
मस्तमौला लोगों के दल को
क्या ये लोग
शेरपा तेनजिंग और एडमंड हिलेरी से
ज्यादा फुर्तीले और ताकतवर हैं
बच्चों ने पूछा यह सवाल
अपने आप से
आज बच्चों को लगा
जैसे वे किसी दूसरी सृष्टि में
चले आए हों
आज रात उनके सपने में
ड्रैकुला की लपलपाती हुई जीभ
नहीं आई
फैंटम के फौलादी मुक्के
नहीं आए
आज सपने में आया पहाड़
मुस्कुराता हुआ
दूर खड़ा हाथ हिलाता हुआ
कवि - संजय कुंदन
संग्रह - कागज के प्रदेश में
प्रकाशक - किताबघर, दिल्ली, 2001
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