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मनमाफ़िक मेरी पसंदीदा कविताओं, कहानियों और अन्य रचनाओं का संकलन है.
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मंगलवार, 3 जून 2014
स्वांतः सुखाय (Swantah sukhay by Kumar Ambuj)
जो स्वांतः सुखाय था
उसकी सबसे बड़ी कमी सिर्फ़ यह नहीं थी
कि उसे दूसरों के सुख की कोई फ़िक्र न थी
बल्कि यह थी कि वह अक्सर ही
दूसरों के सुख को
निगलता हुआ चला जाता था l
कवि - कुमार अंबुज
संकलन - अमीरी रेखा
प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2011
1 टिप्पणी:
nimish
3 जून 2014 को 10:48 am बजे
अच्छी रचना
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