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मंगलवार, 14 जून 2022

धरती (Earth Poem by Mahmoud Darwish, translated in Hindi)

उदास शाम एक उजड़े हुए गाँव में 
आँखें अधनींदी 
मैं याद करता हूँ तीस साल 
और पाँच युद्ध 
उम्मीद करता हूँ कि मुस्तकबिल रखेगा महफ़ूज़ 
मेरी मक्के की बालियाँ 
और गायक गुनगुनाएगा 
आग और कुछ अजनबियों के बारे में 
और शाम बस किसी और शाम की तरह होगी 
और गायक गुनगुनाएगा 


और उन्होंने उससे पूछा : 
तुम क्यों गाते हो 
और उसने जवाब दिया 
मैं गाता हूँ क्योंकि मैं गाता हूँ ... 


और उन्होंने उसका सीना टटोला 
लेकिन उसमें पा सके सिर्फ उसका दिल 
और उन्होंने उसका दिल टटोला 
लेकिन पा सके सिर्फ उसके लोग 
और उन्होंने उसका स्वर टटोला 
लेकिन पा सके सिर्फ उसकी वेदना 
और उन्होंने उसकी वेदना टटोली 
लेकिन पा सके सिर्फ उसकी जेल 
और उन्होंने उसकी जेल टटोली 
लेकिन देख सके वहाँ खुद को ही जंजीरों में बँधा हुआ 


फ़िलिस्तीनी कवि - महमूद दरवेश 
स्रोत - https://www.poemhunter.com/poem/earth-poem-3/
हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद 

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