मैं भरी हुई हूँ खालीपन के
ख़याल से
पूरी।
एक विस्तृत अकाल
मेरी आत्मा के बुखार से तप
रहे मैदानों में मुझे खौलाता है
और यह अजीब जलहीन उबाल
मेरी कविता की छवि में जीवन
उमगाता है.
मैं निहारती हूँ इस नई-जीवित
तस्वीर को
एक विलक्षण गुलाब की
पूरे पृष्ठ पर फैली हुई लजाहट
को।
लेकिन अभी पहली साँस ही ली
है उसने
कि धुएँ के बादल
उसके चेहरे को धुँधला करने
लगते हैं
और धुँआ उसकी सुगन्धित त्वचा
को ग्रस लेता है।
अफ़ग़ानी कवयित्री - नादिया अंजुमन
काव्य संग्रह - गुले दूदी (धुएँ का फूल)
फ़रज़ाना मेरी के अंग्रेज़ी अनुवाद
से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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