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गुरुवार, 30 जून 2022

मन (Mann by Bhawaniprasad Mishra)

मन 

हल्का करने वाले सुख 

चाहे पल या दो पल के हों 

पर उनका मिलना 

रोज जरूरी लगता है 

यह क्षणिक सुखों का जादू है 

जो बड़े-बड़े दुख ठगता है। 

                              - 7 जून, 1953 


कवि - भवानीप्रसाद मिश्र 

संकलन - भवानीप्रसाद मिश्र रचनावली 

संपादन - विजय बहादुर सिंह 

प्रकाशन - अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लिमिटेड, नई दिल्ली 

                 प्रथम संस्करण, 2002 

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