मन
हल्का करने वाले सुख
चाहे पल या दो पल के हों
पर उनका मिलना
रोज जरूरी लगता है
यह क्षणिक सुखों का जादू है
जो बड़े-बड़े दुख ठगता है।
- 7 जून, 1953
कवि - भवानीप्रसाद मिश्र
संकलन - भवानीप्रसाद मिश्र रचनावली
संपादन - विजय बहादुर सिंह
प्रकाशन - अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लिमिटेड, नई दिल्ली
प्रथम संस्करण, 2002
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