मुल्का मियाँइन हैं
उम्र साठ-बासठ के बीच है
ए बचवा! ई सब कहकूत है।
न हिन्नू मरै न मुसल्मान
दंगा फसाद पेट भरले का गलचऊर है।
- असल बात अउर है।
जे सच पूछा तो परान
ई गरीबन कै जात है।
मुल्का क जिनगी एकर सबूत है।
बीस बरिस बीत गयल मुल्का के।
कुक्कुर एस गाँव-गाँव, घरे-घरे घूमते
लेकिन कभी केहू एनसे ना पुछलेस -
कि ए मुल्का बुजरो !
का तुहऊँ इंसान है ?
लोग राजा से रंक और रंक से राजा भयेल
लेकिन मुल्का के दुनिया
ई दौरी में दुकान है ।
- 1969
संकलन : धूमिल समग्र, खंड 1
संकलन-संपादन : डॉ. रत्नशंकर पाण्डेय
प्रकाशन : राजकमल पेपरबैक्स, पहला संस्करण, 2021
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