Translate

शनिवार, 3 नवंबर 2012

सन् 47 को याद करते हुए (47 ko yaad karte huye by Kedarnath Singh)


तुम्हें नूर मियाँ की याद है केदारनाथ सिंह 
गेहुँए नूर मियाँ 
ठिगने नूर मियाँ 
रामगढ़ बाज़ार से सुर्मा बेचकर 
सबसे अन्त में लौटने वाले नूर मियाँ 
क्या तुम्हें कुछ भी याद है केदारनाथ सिंह 

तुम्हें याद है मदरसा 
इमली का पेड़ 
इमामबाड़ा 
तुम्हें याद है शुरू से अख़ीर तक 
उन्नीस का पहाड़ा 
क्या तुम अपनी भूली हुई स्लेट पर 
जोड़-घटाकर 
यह निकाल सकते हो 
कि एक दिन अचानक तुम्हारी बस्ती को छोड़कर 
क्यों चले गए थे नूर मियाँ 
क्या तुम्हें पता है 
इस समय वे कहाँ हैं 
ढाका
या मुल्तान में 
क्या तुम बता सकते हो 
हर साल कितने पत्ते गिरते हैं
पाकिस्तान में  

तुम चुप क्यों हो केदारनाथ सिंह 
क्या तुम्हारा गणित कमज़ोर है 


कवि - केदारनाथ सिंह 
संकलन - यहाँ से देखो
प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 1983

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें