सपने
हर किसी को नहीं आते
बेजान बारूद के कणों में
सोई आग को सपने नहीं आते
बदी के लिए उठी हुई
हथेली के पसीने को सपने नहीं आते
शेल्फों में पड़े
इतिहास-ग्रंथों को सपने नहीं आते
सपनों के लिए लाज़िमी है
झेलनेवाला दिलों का होना
सपनों के लिए
नींद की नज़र लाज़िमी है
सपने इसलिए
हर किसी को नहीं आते l
कवि - पाश
किताब - सम्पूर्ण कविताएँ : पाश
संपादन और अनुवाद - चमनलाल
प्रकाशक - आधार प्रकाशन, पंचकूला, हरियाणा, 2002
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