तलातुम, वलवले, हैजान, अरमाँ
सब उसके साथ रुख़्सत हो चुके थे
यकीं था अब न हँसना है न रोना
कुछ इतना हँस चुके थे, रो चुके थे
किसी ने आज इक अँगड़ाई लेकर
नज़र में रेशमी गिरहें लगा दीं
तलातुम, वलवले, हैजान, अरमाँ
वही चिंगारियाँ फिर मुस्करा दीं
तज्दीद = नवीनीकरण, नवीनता; तलातुम = बाढ़, तूफ़ान, उद्वेग;
वलवले = उमंगें; हैजान = बेचैनी, अशांति
शायर - कैफ़ी आज़मी
किताब - कैफ़ियात (कुल्लियात-ए-कैफ़ी आज़मी, 1918-2002)
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2011
वही चुप्पी
जवाब देंहटाएंकलेजा तोड़ती
आँखें वही बेथाह
वही ख्वाहिश बेखुदी की
देह तेजाबी
तराशी
बुलाती बेराह
वह नहीं लेकिन
इलाही ! आह ...