मैंने सपना देखा
मैंने सपना देखा कि मुझे चाहा जा रहा है
मैंने सपना देखा कि चन्द्रमा क्षीण होता जा रहा है
मैंने सपना देखा
उस कोमलता का जिसका पात्र हूँ मैं
मैंने सपना देखा कैसे विलुप्त शब्द मेरे पास लौट आया था
कैसे झूम रहा था मेरे भीतर
और आँसुओं की वर्णमाला की तरह भर आया था
मैंने सपना देखा स्वयं का
मैंने सपना देखा बर्फ़ से ठण्डे अकेलेपन का
मैंने सपना देखा कि अन्तरिक्ष घूम रहा था आकाशचक्र के गिर्द
और मोमबत्ती अब भी टिमटिमा रही थी
बाती के आसपास
एक तीख़ी नीली चमक जो बुझने का नाम नहीं लेती थी
मैंने सपना देखा स्वयं का
मैंने सपना देखा एक ख़ास बालक का
दुनिया की ओर पीठ किये
अपनी आवाज़ के पत्तों के नीचे झूलते हुए मैंने समुद्रपान किया
छायाएँ घिर आयीं मेरे जिस्म के आसपास
मुझे आलिंगन में लेती हुई
स्वीडी कवि - ब्रूनो क. अयर (1951)
स्वीडी से हिन्दी अनुवाद - बिर्गित्ता वॉलीन की मदद से तेजी ग्रोवर
संकलन - बर्फ़ की खुशबू : स्वीडी कविताएँ
संपादक - तेजी ग्रोवर, लार्श एण्डर्सन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिली, 2001
किताब में दिए गए परिचय के मुताबिक़ "ब्रूनो क. अयर ने अपने लेखन की शुरुआत 'स्टेंसिल कवि' के रूप में की ('स्टेंसिल कवि' उन्हें कहा जाता है जिन्होंने स्थापित प्रकाशन गृहों से बाहर रहकर अपनी रचनाएँ स्वयं प्रकाशित कीं और जिन्हें उन प्रकाशन गृहों द्वारा बाद में जगह दी गयी)l"
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