वह एक समझदार स्त्री है
जो उन लोगों को समझती है
जो घर के कमरे में बैठे
स्त्रियों के बहाने
उसके बारे में बात कर रहे हैं
उनके मन में नक़ली हमदर्दी
और असली कौतूहल है,
कि देखें उसमें कितना आत्मबल है.
कवि - कुँवर नारायण
संकलन - इन दिनों
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2002
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें