गामा आए गाम पर !
जन-गण जय-जयकार मचाते
भारत-भाग्य-विधाता गाते
पत्रकारगण धाते आते
फोकस देते चाम पर !
लामा उतरे लाम पर !
हन-हन-हन हथियार चलाते
विरोधियों के किले ढहाते
ह्त्या करते, खून बहाते
धरम-करम के नाम पर !
लहू दामनेदाम पर !
लहू दामनेबाम पर !
कवि-कोकिल-कुल चाय चुसकते
कविता करते शाम पर !
कवि - राकेश रंजन
संकलन - अभी-अभी जनमा है कवि
प्रकाशक - प्रकाशन संस्थान, दिल्ली, 2007
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 06 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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