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रविवार, 5 मई 2013

मच्छर (Machchhar by Dinkar)


मच्छर खफीफ जानवर है l 
मगर, वह खूब जानता है 
कि वह शिकारी है l 

वह दूसरों का लहू पीता है l 
एक जीव दूसरे के रक्त पर जीता है l 

मगर, इंसाफ की बात कहनी हो 
तो यह कहना चाहिए 
कि जितने से पेट भरे,
उतना ही खून वह चखता है l 
और आदमियों के बदन से लहू चूसकर 
वह बैंक में नहीं रखता है l 



कवि - रामधारी सिंह दिनकर 
संकलन - आत्मा की आँखें 
प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, दूसरा संस्करण - 1996

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