मच्छर खफीफ जानवर है l
मगर, वह खूब जानता है
कि वह शिकारी है l
वह दूसरों का लहू पीता है l
एक जीव दूसरे के रक्त पर जीता है l
मगर, इंसाफ की बात कहनी हो
तो यह कहना चाहिए
कि जितने से पेट भरे,
उतना ही खून वह चखता है l
और आदमियों के बदन से लहू चूसकर
वह बैंक में नहीं रखता है l
कवि - रामधारी सिंह दिनकर
संकलन - आत्मा की आँखें
प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, दूसरा संस्करण - 1996
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें