शुद्ध हवा औ' पानी शुद्ध
खा-पी बन गये गौतम बुद्ध l
बोले - 'सभी प्रेम से रहो
नहीं चाहिये हमको युद्ध !'
किन्तु मिलावट का घी खा
हम सबने यह ही सीखा
बात-बात पर होना क्रुद्ध
बात-बात पर करना युद्ध l
शुद्ध हवा दो पानी शुद्ध
हम भी बन जाएं गौतम बुद्ध l
कवि - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
संकलन - महके सारी गली गली (बाल-कविताएं)
संपादक - निरंकार देव सेवक, कृष्ण कुमार
प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली, पहला संस्करण, 1996
कितनी प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत जरूरत है शुद्ध हवा और पानी की पर देगा कौन. सब तो ले गए गौतम बुद्ध