एक मुल्क पौ फटने के कगार पर,
कुछ ही पलों में
ग्रह सो जाएँगे शायरी की जुबान में.
कुछ ही पलों में हम इस लम्बे रास्ते को विदा कहेंगे
और पूछेंगे : कहाँ से हम शुरुआत करें ?
कुछ ही पलों में
हम अपने खूबसूरत पर्वत नार्सीसस को सावधान करेंगे
अपने ही प्रतिबिम्ब से उसके मोह के खिलाफ; तुम अब और
शायरी के काबिल
नहीं, इसलिए देखो
राहगीर की ओर
फ़िलीस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - द बटरफ्लाई'ज़ बर्डन
प्रकाशक - कॉपर कैनियन प्रेस, वाशिंगटन, 2007
संकलन - द बटरफ्लाई'ज़ बर्डन
प्रकाशक - कॉपर कैनियन प्रेस, वाशिंगटन, 2007
अरबी से अंग्रेज़ी अनुवाद - फैडी जूडा
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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