(एक पहरेदार से:) मैं तुम्हें सिखाऊँगा इन्तजार करना
मेरी स्थगित मौत के दरवाजे पर
धीरज रखो, धीरज रखो
हो सकता है तुम मुझसे थक जाओ
और अपनी छाया मुझसे उठा लो
और अपनी रात में प्रवेश करो
बिना मेरे प्रेत के !
.......
(एक दूसरे पहरेदार से:) मैं तुम्हें सिखाऊँगा इन्तजार करना
एक कॉफीघर के प्रवेशद्वार पर
कि तुम सुन सको अपने दिल की धड़कन को धीमा होते, तेज़ होते
तुम शायद जान पाओ सिहरन जैसे कि मैं जानता हूँ
धीरज रखो,
और तुम शायद गुनगुना सको एक प्रवासी धुन
अन्दालुसियायी तकलीफ में, और परिक्रमा में फारसी
तब चमेली भी तकलीफ देती है तुम्हें और तुम चले जाते हो
.......
(एक तीसरे पहरेदार से:) मैं तुम्हें इन्तजार करना सिखाऊँगा
एक पत्थर की बेंच पर, शायद
हम बताएँगे एक-दूसरे को अपने नाम. तुम शायद देख पाओ
एक ज़रूरी मुस्कराहट हम दोनों के दरम्यान:
तुम्हारी एक माँ है
और मेरी एक माँ है
और हमारी एक ही बारिश है
और हमारा एक ही चाँद है
और एक छोटी सी अनुपस्थिति खाने की मेज से.
फ़िलीस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - द बटरफ्लाई'ज़ बर्डन
प्रकाशक - कॉपर कैनियन प्रेस, वाशिंगटन, 2007
अरबी से अंग्रेज़ी अनुवाद - फैडी जूडा
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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