दर्द काँटा है उसकी चुभन फूल है
दर्द की ख़ामुशी का सुख़न फूल है
उड़ता फिरता है फुलवारियों से जुदा
बर्गे-आवारा जैसे पवन धूल है
उसकी ख़ुशबू दिखाती है क्या-क्या समै
दश्ते-ग़ुरबत में यादे-वतन फूल है
तख़्त-ए-रेग पर कोई देखे उसे
साँप के ज़हर में रस है, फन फूल है
मेरी लै से महकते हैं कोहो-दमन
मेरे गीतों का दीवानापन फूल है
दश्ते-ग़ुरबत = परदेस-रूपी जंगल
तख़्त-ए-रेग = रेत का तख़्ता
कोहो-दामन = पहाड़ और वादी
शायर - नासिर काज़मी
संग्रह - ध्यान यात्रा
संपादक - शरद दत्त, बलराज मेनरा
संपादक - शरद दत्त, बलराज मेनरा
प्रकाशक - सारांश प्रकाशन, दिल्ली, 1994
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