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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

तेलंगन (Telangan by Makhdoom Mohiuddin)



फिरने वाली खेत की मेंड़ों पे बल खाती हुई l
नर्मो शीरीं क़हक़हों के फूल बरसाती हुई l
कंगनों से खेलती औरों से शरमाती हुई l
          अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा 
          हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l

तेलंगन = तेलंगाना की स्त्री, शीरीं = मीठा

अरज़ यकसरगोश है खामोश हैं सब आसमां
राग सुनने रुक गए हैं बादलों के कारवां 
हाँ तराना छेड़, जंगल का मेरी गुन्चा दहां l  
           अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
           हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l

अरज़ = धरती, यकसरगोश = सुनने के लिए तैयार, गुन्चा दहां = कली-सा चेहरा

देखने आते हैं तारे शब में सुन कर तेरा नाम
जलवे सुबह-ओ-शाम के होते हैं तुझसे हमकलाम
देख फितरत कर रही है तुझको झुकझुक कर सलाम l
           अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
           हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l

हमकलाम = बातचीत

दुख्तरे पाकीज़गी नाआशनाए सीम-ओ ज़र,
दश्त की खुद रौ कली तहज़ीबेनौ से बेखबर
तेरी ख़स की झोंपड़ी पर झुक पड़े सब बामो दर l
           अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
           हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l


 दुख्तरे पाकीज़गी = पवित्रता की बेटी, नाआशनाए = अनजान, सीम-ओ ज़र = चाँदी-सोना, दश्त = जंगल, खुद रौ कली = अपने आप उगने वाली कली,
तहज़ीबेनौ = नई सभ्यता, बामो दर = छत और दरवाज़े

ले चला जाता हूँ आँखों में लिए तस्वीर को
ले चला जाता हूँ पहलू में छिपाए तीर को
ले चला जाता हूँ फैला राग की तनवीर को l
           अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
           हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l

तनवीर = ज्योति 




शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन 
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन 
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन 
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2004

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