फिरने वाली खेत की मेंड़ों पे बल खाती हुई l
नर्मो शीरीं क़हक़हों के फूल बरसाती हुई l
कंगनों से खेलती औरों से शरमाती हुई l
अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l
तेलंगन = तेलंगाना की स्त्री, शीरीं = मीठा
अरज़ यकसरगोश है खामोश हैं सब आसमां
राग सुनने रुक गए हैं बादलों के कारवां
हाँ तराना छेड़, जंगल का मेरी गुन्चा दहां l
अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l
अरज़ = धरती, यकसरगोश = सुनने के लिए तैयार, गुन्चा दहां = कली-सा चेहरा
देखने आते हैं तारे शब में सुन कर तेरा नाम
जलवे सुबह-ओ-शाम के होते हैं तुझसे हमकलाम
देख फितरत कर रही है तुझको झुकझुक कर सलाम l
अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l
हमकलाम = बातचीत
दुख्तरे पाकीज़गी नाआशनाए सीम-ओ ज़र,
दश्त की खुद रौ कली तहज़ीबेनौ से बेखबर
तेरी ख़स की झोंपड़ी पर झुक पड़े सब बामो दर l
अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l
दुख्तरे पाकीज़गी = पवित्रता की बेटी, नाआशनाए = अनजान, सीम-ओ ज़र = चाँदी-सोना, दश्त = जंगल, खुद रौ कली = अपने आप उगने वाली कली,
तहज़ीबेनौ = नई सभ्यता, बामो दर = छत और दरवाज़े
ले चला जाता हूँ आँखों में लिए तस्वीर को
ले चला जाता हूँ पहलू में छिपाए तीर को
ले चला जाता हूँ फैला राग की तनवीर को l
अजनबी को देखकर खामोश मत हो, गाए जा
हाँ तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा l
तनवीर = ज्योति
शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2004
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