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बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

गेंद का पड़ोस (Geind ka pados by Vinod Kumar Shukl)


गेंद का पड़ोस -
उछाल आकाश की तरफ 
किसी भी दिशा में 
जा सकने के कारण 
सभी दिशाएँ गेंद के पड़ोस में 
धरती पड़ोस 
और गेंद का घर 
हमारा घर l 

कितनी गेंदें पड़ोस में खो चुकी थीं 
गेंद ढूँढ़ने हम 
किसी के भी घर घुस जाते 
घरों में जाना और खो जाना 

हमने गेंद से सीखा l 


कवि  - विनोद कुमार शुक्ल 
संकलन - कभी के बाद अभी 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2012

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