जहाँमें हाली किसीपै अपने सिवा भरोसा न कीजियेगा l
यह भेद है अपनी ज़िन्दगीका बस इसकी चर्चा न कीजियेगा ll
हो लाख गैरोंका ग़ैर कोई न जानना उसको ग़ैर हरगिज़ l
जो अपना साया भी हो तो उसको तसव्वुर अपना न कीजियेगा ll
लगाव तुममें न लाग ज़ाहिद न दर्दे उल्फ़तकी आग ज़ाहिद l
फिर और क्या कीजियेगा आख़िर जो तर्के दुनिया न कीजियेगा ll
शायर - हाली
किताब - सितारे (हिन्दुस्तानी पद्योंका सुन्दर चुनाव)
संकलनकर्ता - अमृतलाल नाणावटी, श्रीमननारायण अग्रवाल, घनश्याम 'सीमाब'
प्रकाशक - हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, वर्धा, तीसरी बार, अप्रैल, 1952
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