मैंने चिड़िया से कहा, 'मैं तुम पर एक
कविता लिखना चाहता हूँ ।'
चिड़िया ने मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में
मेरे परों की रंगीनी है ?'
मैंने कहा, 'नहीं ।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है ?'
'नहीं ।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैनों की उड़ान है ?'
'नहीं ।'
'जान है ?'
'नहीं ।'
'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे ?'
मैंने कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार है ।'
चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है ?'
एक अनुभव हुआ नया ।
मैं मौन हो गया !
कवि - हरिवंशराय बच्चन
संकलन - हरिवंशराय बच्चन : प्रतिनिधि कविताएँ
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पहला संस्करण - 1986
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