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शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

निष्फल (Nishfal by Shrikant Verma)


किसी भी उजाले के छोटे से गड्ढे में 
जाकर मुँह धोने की 
खोज - 
रोज़-रोज़ !
किसी भी सड़क पर जा भीड़ या कि पतझर में 
अपने कुछ होने की 
खोज - 
रोज़-रोज़ ! 
अपने ज़माने की एक अप्रिय दुनिया में
अपने प्रिय कोने की 
खोज - 
रोज़-रोज़ !


कवि - श्रीकांत वर्मा
किताब - श्रीकांत वर्मा रचनावली में मायादर्पण से संकलित 
संपादक - अरविंद त्रिपाठी
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 1995

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