हम जियें न जियें दोस्त
तुम जियो एक नौजवान की तरह,
खेत में झूम रहे धान की तरह,
मौत को मार रहे बान की तरह l
हम जियें न जियें दोस्त
तुम जियो अजेय इंसान की तरह
मरण के इस रण में अमरण
आकर्ण तनी
कमान की तरह !
- 9.8.1961
कवि - केदारनाथ अग्रवाल
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ
संपादक - अशोक त्रिपाठी
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2012
तुम जियो एक नौजवान की तरह,
खेत में झूम रहे धान की तरह,
मौत को मार रहे बान की तरह l
हम जियें न जियें दोस्त
तुम जियो अजेय इंसान की तरह
मरण के इस रण में अमरण
आकर्ण तनी
कमान की तरह !
- 9.8.1961
कवि - केदारनाथ अग्रवाल
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ
संपादक - अशोक त्रिपाठी
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2012
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें