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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

सीता का गर्भ-धारण (Sita ka garbh-dharan in Navnita Dev Sen's novel)


क.     सीता मइया आपके कितने माह हुए पार 
ख.     एक माह, दो माह, तीन माह भये पार 
क.     तीन माह पार भये, सीता ही जाने 
         खाने को क्या-क्या चाहें, कोई ना जाने 
ख.     सीता मइया पीना चाहें बाघ का दूध एक बार 
क.     गज़ब का साध, भइया, किया स्वीकार 
         उनका देवरा लछमण, सब गुण आगर 
         लावेंगे बाघ के दूध का सागर 
ख.     बाघ के शिकार को, लछमण गये वन में 
         ले आये बाघ का दूध साल-पत्ते के दोने में 
         खुश-खुश बोले - भाभी आँखी खोलो, लो, अपनी चीज़ 
         जो तुमने खाना चाहा, लो, हुआ वो नसीब !
क.     बाघ-दूध पीकर, जुड़ाये सीता के प्राण 
         ला दो, एक और चीज़, देवरा, मेरा कहा मान 
         अरज करूं, देवरा, एक चीज़ ला दो 
         दरिया के बीचोबीच है, बड़ा-सा बालुचर 
         वहाँ खड़ा सागौन का विशाल, एक पेड़ घना 
         उस महावृक्ष पर मधुमाखी का छत्ता तना
         लाओ उस छत्ते से मधु निचोड़कर भइया 
         सादा दोसे में मधु मिलाकर खावेंगी, मइया 
ख.     दोसे के साथ और क्या चाहें सीता मइया
         राजमा-सेम का सांभर - सीता जी ने देवर से कहा 
         हरिख-हरखि लछमण दौड़े वन में दुबारा 
         भउजी की शुभ कोख-साध करें पूरा 
क.     सासु कौसल्या तक खबर जब आया 
         सीता मइया का चाव सुन, बूढ़ी ने फरमाया 
ख.     होठ बिचकाकर, राम की जननी ने कहा 
         सात जनम में ऐसी विचित्र साध सुनी कहाँ। 
         हम सबन की कोख में भी आया शिशु कई बार 
         खाया माटी का धेला और इमली का अचार 
         कच्चा आम संग नून-मिर्चा भी खाया 
         बासी मट्ठा, साग संग, हिया का चाव मिटाया 
         हमने भी राम-लछमण को दिया जनम 
         मगर ऐसी हुड़क, बहिनी, हमने देखी है कम 
         इत्तनी कदर, कुल तीन महिन्ने के शिशु के लिए ?
         ओके लिए सीता बहू चाहे, बाघ का दूध पीये 
         मोरे बच्चे ने रखा पैर और कुल तीस बरस में 
         जाने काहे ई भला बाघ-सिंही के मांद में 
क.     सुनकर सीता अम्मा के कोख की साध 
         बूढ़ी सासु कौसल्या ने सुनायी सौ-सौ बात !


लेखिका - नवनीता देव सेन 
किताब - वामा-बोधिनी 
हिन्दी अनुवाद - सुशील गुप्ता
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2004

नवनीता देव सेन के इस उपन्यास के बारे में किताब के ब्लर्ब में यह सूचना दी गयी है - "रिसर्च के दौरान लिए गए नोट्स, डायरी के पन्ने, प्रेमियों के ख़त, ग्रामीण बालाओं के  गीत, नायिका की विचारधारा, सम्पादक का जवाब - इन सबको मिलाकर इस कथा में, बिलकुल नए रूप में, बेहद सख्त, लेकिन बहुमुखी सत्य का सृजन किया गया है"।

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