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बुधवार, 11 सितंबर 2013

पुलिस आगे बढ़ी … (Police aage badhi by Nagarjun)

चंदन का चर्खा निछावर है इस्पाती बुलेट पर 
निछावर है अगरबत्ती चुरुट पर, सिग्रेट पर 
नफ़ाखोर हँसता है सरकारी रेट पर 
फ्लाई करो दिन-रात, लात मारो पब्लिक के पेट पर !

पुलिस आगे बढ़ी -
क्रांति को संपूर्ण बनाएगी 
गुमसुम है फौज -
वो भी क्या आजादी मनाएगी 
बँध गई घिग्घी -
माथे में दर्द हुआ 
नंगे हुए इनके वायदे -
नाटक बे-पर्द हुआ !

मिनिस्टर तो फूकेंगे अंधाधुंध रकम 
सुना करेगी अवाम बक-बक-बकम 
वतन चुकाएगा जहालत की फीस 
इन पर तो फबेगी खादी नफ़ीस !
धंधा पालिटिक्स का सबसे चोखा है 
बाकी तो ठगैती है, बाकी तो धोखा है 
कंधों पर जो चढ़ा, वो ही अनोखा है
हमने कबीर का पद ही तो धोखा है !
                                         - 1978



कवि - नागार्जुन 
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 2
संपादन-संयोजन - शोभाकांत 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003

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