चंदन का चर्खा निछावर है इस्पाती बुलेट पर
निछावर है अगरबत्ती चुरुट पर, सिग्रेट पर
नफ़ाखोर हँसता है सरकारी रेट पर
फ्लाई करो दिन-रात, लात मारो पब्लिक के पेट पर !
पुलिस आगे बढ़ी -
क्रांति को संपूर्ण बनाएगी
गुमसुम है फौज -
वो भी क्या आजादी मनाएगी
बँध गई घिग्घी -
माथे में दर्द हुआ
नंगे हुए इनके वायदे -
नाटक बे-पर्द हुआ !
मिनिस्टर तो फूकेंगे अंधाधुंध रकम
सुना करेगी अवाम बक-बक-बकम
वतन चुकाएगा जहालत की फीस
इन पर तो फबेगी खादी नफ़ीस !
धंधा पालिटिक्स का सबसे चोखा है
बाकी तो ठगैती है, बाकी तो धोखा है
कंधों पर जो चढ़ा, वो ही अनोखा है
हमने कबीर का पद ही तो धोखा है !
- 1978
निछावर है अगरबत्ती चुरुट पर, सिग्रेट पर
नफ़ाखोर हँसता है सरकारी रेट पर
फ्लाई करो दिन-रात, लात मारो पब्लिक के पेट पर !
पुलिस आगे बढ़ी -
क्रांति को संपूर्ण बनाएगी
गुमसुम है फौज -
वो भी क्या आजादी मनाएगी
बँध गई घिग्घी -
माथे में दर्द हुआ
नंगे हुए इनके वायदे -
नाटक बे-पर्द हुआ !
मिनिस्टर तो फूकेंगे अंधाधुंध रकम
सुना करेगी अवाम बक-बक-बकम
वतन चुकाएगा जहालत की फीस
इन पर तो फबेगी खादी नफ़ीस !
धंधा पालिटिक्स का सबसे चोखा है
बाकी तो ठगैती है, बाकी तो धोखा है
कंधों पर जो चढ़ा, वो ही अनोखा है
हमने कबीर का पद ही तो धोखा है !
- 1978
कवि - नागार्जुन
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 2
संपादन-संयोजन - शोभाकांत
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003
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