दूर उस अंधेरे में कुछ है, जो बजता है
शायद वह पीपल है l
वहां नदी-घाटों पर थक कोई सोता है
शायद वह यात्रा है l
दीप बाल कोई, रतजगा यहां करता है
शायद वह निष्ठा है l
कवि - श्रीकांत वर्मा
संग्रह - भटका मेघ
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज़, दिल्ली, 1983
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